कभी सड़कों पर गुजारते थे जिंदगी, अब इनकी वजह से सालाना हो रही लाखों की कमाई

सिंधुदुर्ग: महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग जिले में जीवन आनंद नामक संस्था बेघर लोगों के लिए फरिश्ता बनकर काम करती है. यह संस्था सड़कों पर रहने वाले बेघर लोगों को सहारा देने का महत्वपूर्ण कार्य करती है. वर्तमान में, इस संगठन के सविता आश्रम में 175 बेघर भाई रह रहे हैं. इनमें से कुछ सक्षम बेघर भाइयों ने आश्रम परिसर में एक अलग ही मिसाल कायम की है. आश्रम के 70 गुंठा क्षेत्र में सब्जी खेती और मुर्गी पालन जैसे विभिन्न प्रकार के कृषि कार्य फल-फूल रहे हैं. इस संस्था के महाबलेश्वर कामत के मार्गदर्शन में यह खेती बेघर भाइयों द्वारा की जा रही है.

बेघर भाइयों की मेहनत से खिल रही है खेती
इस खेती के बारे में बात करते हुए महाबलेश्वर कामत कहते हैं, “पणादुर में हमारे संगठन के सविता आश्रम में 175 बेघर भाई हैं. इनमें से कुछ शारीरिक रूप से सक्षम हैं. वे आश्रम में खाली बैठने के बजाय कुछ काम करना चाहते थे. इसी सोच के साथ हमने उन्हें रोजगार देने के बारे में विचार किया. फिर हमें ख्याल आया कि संगठन के पास किनालोस में एक जगह है.”

1500 नागरिकों को पुनर्वास का सहारा बना सविता आश्रम
उस स्थान पर रोजगार सृजन के उद्देश्य से संगठन के परिसर में सब्जी खेती शुरू करने का सुझाव दिया गया. इसके तहत कुछ बेघर भाइयों को उस जगह ले जाया गया, जहां उन्होंने गोभी, डोडकी, खीरा, पाडवल जैसी सब्जियों की खेती शुरू की. इसके अतिरिक्त, कावेरी नस्ल की मुर्गियों को पाला गया. साथ ही गिर गायें, घोड़े और बत्तख भी रखे गए. कुछ ही महीनों में इससे आय होना शुरू हो गई.

आश्रम की आवश्यकताएं और आत्मनिर्भरता
आश्रम परिसर में सब्जियां, अंडे और दूध का उत्पादन शुरू किया गया. मुर्गियों से रोजाना 150 अंडे मिलते हैं, जबकि आश्रम की मासिक आवश्यकता 1200 अंडों की होती है. बाकी बचे अंडे बाजार में बेच दिए जाते हैं. सब्जियों का उत्पादन भी इसी तरह किया जाता है. आश्रम की जरूरतें पूरी करने के बाद, हर साल 5-6 लाख रुपये की सब्जियां बेची जाती हैं, जिससे आर्थिक लाभ होता है.

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इससे न केवल आश्रम की जरूरतें पूरी होती हैं, बल्कि इन बेघर भाइयों को भी खुशी और संतोष का अनुभव होता है. महाबलेश्वर कामत कहते हैं, “यह पहल न केवल आत्मनिर्भरता की ओर एक कदम है, बल्कि इन भाइयों के जीवन में सकारात्मक बदलाव भी ला रही है.

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Source – News18