वो गांव, जहां ‘सीटी’ मारकर एक-दूसरे को बुलाते हैं ग्रामीण, दौड़े आते हैं लोग!

हम सभी जानते हैं कि किसी भी इंसान की पहचान सबसे पहले उसके नाम से ही होती है. दुनिया के किसी भी कोने में चले जाइये, आपको पहचाना जाएगा तो उस नाम से, जो आपको आपके माता-पिता ने दिया है. यही वजह है कि नाम और नामकरण का काफी महत्व है. ऐसे में अगर हम आपसे कहें कि एक ऐसी भी जगह है, जहां पर लोगों का नाम नहीं बल्कि उनके नाम की जगह एक धुन का इस्तेमाल किया जाता है, तो आप चौंक जाएंगे.

अपने ही देश में वो गांव है, जहां पर लोगों के नाम नहीं हैं बल्कि वे एक-दूसरे को सीटी मारकर बुलाते हैं. इसकी वजह ये है कि उनके नाम पर पैदा होते ही एक ट्यून तय हो जाती है और यही उनका नाम हो जाता है. आप जानते हैं इस गांव के बारे में?
अब आप सोच रहे होंगे कि अगर नाम नहीं लेना है तो किसी को बुलाया कैसे जाएगा? इसके लिए आपको सीटी बजाना आना चाहिए.

कहां पर है ये अनोखा गांव?
ये बिल्कुल अलग सा गांव भारत के मेघालय में है. यहां के खासी पहाड़ी में कांगथान नाम का ये गांव बसा हुआ है. इसे अपनी अनोखी खासियत की वजह से ही व्हिसलिंग विलेज भी कहा जाता है. गांव में जब भी कोई बच्चा पैदा होता है, तो उसकी मां उसे एक अलग सी ट्यून बनाकर सुनाती है. बच्चा धीरे-धीरे ट्यून सुनकर पहचान जाता है कि ये उसके नाम की धुन है. फिर उसे बुलाने के लिए लोग इसी धुन का इस्तेमाल सीटी बजाकर करने लगते हैं. ये धुन अक्सर चिड़ियों की चहचहाहट से इंस्पायर होती है. इस धुन को जिंग्रवई लॉबेई कहा जाता है. सोशल मीडिया पर इसके वीडियो वायरल होते रहते हैं.

क्या नाम नहीं होता?
ऐसा नहीं है कि यहां के लोग सिर्फ धुन पर ही जीते हैं. उनके नाम भी होते हैं, जो दस्तावेज़ में लिखे जाते हैं लेकिन आमतौर पर उन्हें बुलाने के लिए सीटी का ही इस्तेमाल होता है. इसके पीछे वजह दिलचस्प है. दरअसल पहाड़ियों में सीटी की धुन गूंजती है, ऐसे में लोग सीटी बजाकर एक-दूसरे को बुलाते हैं, ताकि दूर तक गूंज जाए और उन्हें सुनाई दे जाए. जैसे-जैसे तकनीक बढ़ती जा रही है, लोग मोबाइल में अपने नाम की धुन सेव कर लेते हैं और इसके ज़रिये नई धुन भी बना लेते हैं.

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Source – News18