सिर्फ डिजाइन नहीं, इसके पीछे साइंस है…जानिए मंदिर की छतें गोलाकार क्यों हैं?
Agency:Local18
Last Updated:February 17, 2025, 11:09 IST
Temple domes: मंदिर की छतें गुंबदनुमा क्यों होती हैं? इसके पीछे धार्मिक मान्यताओं, वास्तुशास्त्र और विज्ञान का अनोखा मेल छिपा है. यह ध्वनि और ऊर्जा को नियंत्रित करता है, मंदिर को ठंडा रखता है और भूकंप जैसी आपदा…और पढ़ें
मंदिर की छत गुंबदनुमा क्यों होती है?
अगर आप किसी भी मंदिर में गए होंगे, तो एक चीज़ ज़रूर देखी होगी—मंदिर की छत हमेशा गुंबदनुमा होती है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ऐसा क्यों होता है? क्या यह सिर्फ एक डिज़ाइन है या इसके पीछे कोई खास वजह छुपी है? इसका जवाब बेहद रोचक है! मंदिरों की छत का गुंबदनुमा आकार सिर्फ दिखने के लिए नहीं होता, बल्कि इसके पीछे धार्मिक मान्यताएं, वास्तुशास्त्र और विज्ञान तीनों की भूमिका होती है. आइए, इसे आसान भाषा में समझते हैं.
गुंबद से आवाज़ गूंजती है और मन को शांति मिलती है
मंदिर में जब पुजारी घंटी बजाते हैं या लोग मंत्रों का जाप करते हैं, तो उनकी आवाज़ चारों तरफ गूंजती है. यह गूंज किसी जादू से कम नहीं लगती, लेकिन इसके पीछे गुंबद का डिज़ाइन छुपा होता है. गुंबद की बनावट इस तरह होती है कि जब कोई आवाज़ इससे टकराती है, तो वह पूरे मंदिर में फैल जाती है. यह प्रभाव भक्तों को ध्यान और पूजा में गहराई से जोड़ने में मदद करता है. यही कारण है कि जब आप मंदिर में जाते हैं, तो आपको वहां एक अलग ही शांति महसूस होती है.
मंदिर में ऊर्जा का भंडार रहता है
हिंदू धर्म में माना जाता है कि मंदिर में ईश्वर का वास होता है और वहां हमेशा सकारात्मक ऊर्जा (positive energy) बनी रहती है. गुंबद का आकार इस ऊर्जा को पूरे मंदिर में फैलाने का काम करता है. जब कोई व्यक्ति मंदिर में प्रवेश करता है, तो वह इस सकारात्मक ऊर्जा से घिर जाता है और खुद को हल्का और प्रसन्न महसूस करता है.
गुंबद का आकार क्यों होता है खास?
गुंबद का आकार ऊपर की ओर उठा होता है, जिससे यह स्वर्ग और ब्रह्मांड का प्रतीक बन जाता है. हिंदू धर्म में माना जाता है कि मंदिर केवल पूजा का स्थान नहीं, बल्कि स्वर्ग और धरती को जोड़ने वाला एक माध्यम है. इसीलिए मंदिर की छतें हमेशा ऊँची और गुंबदनुमा बनाई जाती हैं, ताकि लोग जब ऊपर देखें, तो उन्हें ईश्वर की महिमा का एहसास हो.
गर्मी में ठंडा और सर्दी में गर्म
क्या आपको पता है कि गुंबद की वजह से मंदिर के अंदर का तापमान हमेशा संतुलित रहता है? गर्मी के दिनों में मंदिर के अंदर ठंडक बनी रहती है, जबकि सर्दी में यह ज्यादा ठंडा महसूस नहीं होता. इसका कारण यही गुंबदनुमा डिज़ाइन है, जो हवा के प्रवाह को नियंत्रित करता है और अंदर का माहौल संतुलित बनाए रखता है.
पुराने मंदिर इतने मज़बूत क्यों होते हैं?
भारत के कई मंदिर सैकड़ों साल पुराने हैं, लेकिन आज भी बिना किसी नुकसान के खड़े हैं. इसका एक बड़ा कारण उनकी खास बनावट है. गुंबद का डिज़ाइन भूकंप और अन्य प्राकृतिक आपदाओं को झेलने में मदद करता है. इसकी वजह से मंदिर मजबूत बने रहते हैं और कई पीढ़ियों तक टिके रहते हैं.
विज्ञान और परंपरा का अनोखा मेल
अगर आप सोच रहे हैं कि मंदिर का गुंबदनुमा आकार केवल धार्मिक कारणों से बनाया जाता है, तो यह पूरी सच्चाई नहीं है. असल में, यह परंपरा विज्ञान और वास्तुशास्त्र दोनों से जुड़ी हुई है. यह न केवल मंदिर की सुंदरता बढ़ाता है, बल्कि भक्तों के अनुभव को भी खास बनाता है.
New Delhi,Delhi
February 17, 2025, 11:09 IST
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Source – News18

