Jungle News: वो इंसान जिसे चिंपैंजी मानते थे अपना दोस्त, किये कई अनोखे शोध…
Last Updated:October 02, 2025, 09:52 IST
प्रसिद्ध प्राइमेटोलॉजिस्ट और पर्यावरणविद जेन गुडॉल का 91 वर्ष की आयु में निधन हो गया. उनका जीवन और शोध कार्य पूरी दुनिया के लिए प्रेरणा रहा. तंजानिया के गोंबे जंगल में 1960 से चिंपैंजियों पर किए गए उनके अध्ययन ने न सिर्फ विज्ञान की धारणाओं को बदल दिया, बल्कि यह भी साबित किया कि जानवरों में भी भावनाएं, व्यक्तित्व और सामाजिक व्यवहार होते हैं.

दुनिया में कई ऐसे लोग रहे हैं जिन्होंने जानवरों की देखभाल में अपना पूरा समय लगा दिया. ऐसी ही एक महिला भी थीं जिन्हें चिंपैंजी अपना दोस्त मानते थे क्योंकि उन्होंने जिंदगी का ज्यादातर वक्त उनके बीच शोध करते हुए बिताया. उनकी हाल ही में 91 साल की उम्र में मौत हो गई. पूरी दुनिया में उनके चाहने वाले सदमे में हैं. इस महिला का नाम है जेन गुडॉल. आइए आपको उनके बारे में ज्यादा जानकारी देते हैं.
प्रसिद्ध प्राइमेटोलॉजिस्ट और पर्यावरणविद जेन गुडॉल का 91 वर्ष की आयु में निधन हो गया. उनका जीवन और शोध कार्य पूरी दुनिया के लिए प्रेरणा रहा. तंजानिया के गोंबे जंगल में 1960 से चिंपैंजियों पर किए गए उनके अध्ययन ने न सिर्फ विज्ञान की धारणाओं को बदल दिया, बल्कि यह भी साबित किया कि जानवरों में भी भावनाएं, व्यक्तित्व और सामाजिक व्यवहार होते हैं. गुडॉल की खोजों ने इंसान और पशु साम्राज्य के बीच की रेखा को धुंधला कर दिया. जेन गुडॉल का जन्म 1934 में लंदन में हुआ. बचपन से ही उन्हें जानवरों से गहरा लगाव था. चार साल की उम्र में जब उन्होंने पहली बार मुर्गी को अंडा देते देखा तो उनकी जिज्ञासा और भी गहरी हो गई. युवावस्था में उन्होंने अफ्रीका जाकर जानवरों के बीच रहने और उन पर लिखने का सपना देखा. 1960 में प्रसिद्ध मानवविज्ञानी लुई लीकी के सहयोग से वे तंजानिया पहुंचीं और यहीं से उनका ऐतिहासिक शोध शुरू हुआ.
View this post on Instagram
चिंपैंजियों पर किया अनोखा शोध
गुडॉल ने चिंपैंजियों को नाम दिए, उनके साथ समय बिताया और उनकी आदतों व भावनाओं को समझा. उन्होंने पाया कि चिंपैंजी सिर्फ शाकाहारी नहीं बल्कि मांसाहारी भी होते हैं और सबसे महत्वपूर्ण, वे उपकरण (tools) बनाते और इस्तेमाल करते हैं. यह खोज उस समय वैज्ञानिकों के लिए क्रांतिकारी थी क्योंकि इससे पहले केवल इंसानों को उपकरण निर्माता माना जाता था. उनकी कार्यप्रणाली को लेकर शुरुआती दौर में आलोचना भी हुई, लेकिन समय के साथ यह शोध दुनिया की सबसे लंबी और विस्तृत वन्य अध्ययन परियोजना बन गया. उनकी निजी जिंदगी भी गोंबे से जुड़ी रही. नेशनल ज्योग्राफिक ने उनके काम को दस्तावेज़ किया और यहीं पर उनकी मुलाकात फिल्मकार ह्यूगो वान लॉविक से हुई, जिनसे उन्होंने विवाह किया और एक पुत्र हुआ. 1965 में कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी से उन्होंने पीएचडी की उपाधि प्राप्त की, जबकि उनके पास स्नातक की डिग्री भी नहीं थी.
About the Author
आशुतोष अस्थाना न्यूज़18 हिन्दी वेबसाइट के ऑफबीट सेक्शन चीफ सब-एडिटर के पद पर कार्यरत हैं. यहां वो दुनिया की अजीबोगरीब खबरें, अनोखे फैक्ट्स और सोशल मीडिया पर ट्रेंडिंग न्यूज़ को कवर करते हैं. आशुतोष को डिजिटल मी…और पढ़ें
आशुतोष अस्थाना न्यूज़18 हिन्दी वेबसाइट के ऑफबीट सेक्शन चीफ सब-एडिटर के पद पर कार्यरत हैं. यहां वो दुनिया की अजीबोगरीब खबरें, अनोखे फैक्ट्स और सोशल मीडिया पर ट्रेंडिंग न्यूज़ को कवर करते हैं. आशुतोष को डिजिटल मी… और पढ़ें
और पढ़ें
Source – News18